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Showing posts from July, 2019

सीढ़ियां चढ़ने से ​कैसे होता है मोटापा कम, जानिए पूरी खबर....

आज हर दूसरा व्यक्ति अपने बढ़ते वजन और मोटापे से बेहद दुखी है। भागदौड़ भरी जिंदगी और व्यस्त जीवनशैली मोटापे का सबसे बड़ा कारण बन गया है। ऐसे में लोग खुद को मेंटेन रखने के लिए साइकिल व सीढ़ियों का इस्तेमाल करना ज्यादा पसंद करते हैं। बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार भी कई बार अपने फैंस को फिट रहने के लिए सीढ़ियां चढ़ने उतरने की सलाह दे चुके हैं लाइफस्टाइल कोच और योग विशेषज्ञ, की मानें तो आज के व्यस्त जीवन में लोगों के पास खुद को मेंटेन करने का समय हीं नहीं है। ऐसे में हमें जब भी मौका मिले हमें मिस न करके सीढ़ियों का इस्तेमाल करना चाहिए। अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए एलिवेटर की जगह सीढ़ियों का प्रयोग करें। सीढ़ियां चढ़ना कार्डियो एक्सरसाइज करने जितना ही फायदेमंद है। सीढ़ि‍यां जॉगिंग की तुलना में प्रति मिनट अधिक कैलोरी बर्न करती है। सीढ़ियां चढ़ते समय श्रोणि और जांघ की मांसपेशियों का उपयोग करें ताकि आपके घुटनों पर ज्यादा दबाव न पड़े। ऐसे में योग गुरू राजेन्द्र अटल का मानना है एक निश्चित अवधि में किए गए प्रयास से व्यक्ति का वजन कम होता है। उनका कहना है कि यदि कोई व्यक्ति हफ्ते में सिर्फ एक बार सीढ़ि...

गागलहेड़ी पुलिस ने जिंदा गोवंश मुक्त कराकर गौशाला भिजवाया, किया एक गिरफ्तार....

                                                      सहारनपुर। सहारनपुर जनपद को अपराध कम करने को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी के आदेशानुसार, एसपी सिटी विनीत भटनागर, के निर्देशन में क्षेत्राधिकारी रजनीश कुमार उपाध्याय कुशल नेतृत्व में चलाए गये धरपकड़ अभियान के तहत सहारनपुर/गागलहेड़ी पुलिस ने 6 दिसम्बर को मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि ग्राम चांदपुर में गोकशी के लिए बाग में 3 बिजार ओर 2 गाय लेकर जारहे है थाना प्रभारी आदेश कुमार त्यागी के नेतृत्व में गठित टीम  काली नदी चौकी इंचार्ज गुलाब तिवारी मयफोर्स मोके पर पहुचे ओर एक अभियुक्त मुस्तकीम उर्फ सोनू पुत्र इकराम निवासी चांदपुर को मौके से गिरफ्तार किया। जबकि इसके 6 अन्य साथी पुलिस को देखकर फरार हो गए पुलिस ने मोके से काटने के उपकरण सहित जिंदा 3 बिजार, 2 गाय को अपने कब्जे में लेकर गडोल्ला गोशाला भिजवाया ओर पकड़े गए अभियुक्त को लिखापढ़ी कर जेल भेजा गया और बाकी की तलाश जारी। गिरफ्तार करने वाली टीम में रहे...

जोतिबा फूले ओर अमेडकर कि नीतियों को दलित समाज ने अपनाया: गुलजार सलमानी

सहारनपुर। अगर फूले और अंबेडकर की लड़ाई को दलितों ने धर्म में फितना/फसाद कह कर धितकार दिया होता तो आज क्या आलम होता? उन्होंने अपने साथ हो रहे अन्याय और साज़िशों को जाना और समझा, फिर एकजुट होकर सामाजिक न्याय की बात की। तब जाकर आज उन्हें अधिकार मिला है जो प्रैक्टिकली अभी भी पूरी तरह से नहीं मिल सका है।यह बात राष्ट्रीय आती पिछड़ा मोर्चे के अध्यक्ष गुलज़ार सलमानी ने कही  दूसरी तरफ, पसमांदा मुसलमान  (अति पिछड़े मुसलमान)हैं जो अशराफियात(मनुवादी मुस्लिम खान पठान शेख सैय्यद उस्मानी फारुकी इत्यादि) साज़िशों के तहत प्रतिनिधित्व से वंचित हैं।                                                             अगर एक आम मुसलमान से पूछा जाये तो वो कहेगा कि इस्लाम में ज़ात पात नहीं है, और इस्लाम की बुनियादी तालीम भी यही है। लेकिन हमें इस्लाम और मुस्लिम समाज का भेद समझना होगा। मुस्लिम समाज में ज़ात पात की जटिल व्यवस्था है जिसकी जड़ों को चंद अशराफ आलिमो ने...