सहारनपुर। देवबन्द के दून वैली पब्लिक स्कूल द्वारा जनमंच में प्रान्तीय संस्कृत सम्मेलन का आयोजन किया गया मंडलायुक्त ने बताया कि संस्कृत विश्व की सभी भाषाओ की जननी है जिलाधिकारी अलोक कुमार पांडये ने संस्कृत को संस्कृति का प्राण बताया। जूना अखाड़े के महा मंडलेश्वर यतिन्द्रानन्द जी महाराज ने संस्कृत इस देश की आत्मा कहा अगर संस्कृत नही रहेगी तो कोई भाषा भी नही रहेगी ।
जनमंच में कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि महामण्डलेशवर जी महाराज, यतेन्द्रानन्द जी महाराज, एवं महामण्डलेशवर कैलाशानन्द जी महाराज एवं विशिष्ट अतिथि प्रताप सिंह (क्षेत्रीय संगठन मन्त्री संस्कृत भारती) एवं प्रेमचन्द शास्त्री उपाध्यक्ष संस्कृत एकादमी एवं संजय कुमार कमिश्नर सहारनपुर मण्डल, जिलाधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय एवं एस.एस.पी. दिनेश कुमार पी. तथा द् दून वैली पब्लिक स्कूल के चेयरमैन राजकिशोर गुप्ता, प्रधानाचार्या श्रीमती सीमा शर्मा जी, डायरेक्टर अनुराग सिंघल द्वारा मां सरस्वती की मूर्ति के समक्ष पुष्प अपर्ण एवं दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
कार्यक्रम का प्रारम्भ में श्रीमती शर्मा ने संस्कृत के संदेश 'वसुधैव कुटुम्बकम एवं संस्कृत से संस्कृति पर अपने विचार प्रस्तुत किए। स्कूल के बच्चों ने 'संरस्वती वंदना एवं भगवती सुर भारती पर शानदार नृत्य प्रस्तुति देकर हाॅल में उपस्थित सभी लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। मण्डलायुक्त संजय कुमार ने प्रान्तीय संस्कृत सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि संस्कृत को हर व्यक्ति व बच्चे से लेकर बुर्जुग तक को सीखना चाहिये। हमें इस देश की सबसे प्राचीन संस्कृति का स्वरुप को एक जुट होकर आगे बढाना होगा। उन्होने कहा कि प्रतिदिन संस्कृत के श्लोको का उच्चारण करने से अस्थमा जैसी बीमारी नही होती है। संस्कृत को तृतीय भाषा के रुप में नही प्राथामिकता पर प्रचार-प्रसार करते हुए बढाना होगा। उन्होने कहा कि आज पूरे विश्व में चार बिलियन लोग अंग्रेजी बोलते है, जबकि संस्कृत भाषा उतनी बढोतरी नही कर पायी है। जिलाधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय ने अपने अत्यन्त प्रभावशाली भाषण में आधुनिकतम रिसर्चो के आधार पर संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता के प्रमाणित करते हुए संस्कृत को संस्कृति का प्राण बताया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी ने अपने उद्बोधन में संस्कृत की सनातनता एवं वैज्ञानिकता पर प्रकाश डालते हुए सामाजिक परिदृश्य में संस्कृति की उपयोगिता को सबके सामने रखा। उन्होने कहा कि संस्कृत की परम्परा को बनाये रखना होगा। महामण्डलेशवर जी द्वारा संस्कृत कि गौरवशाली विजयगाथा को बताया तथा संस्कृत से ही संस्कृति है और इसी से संस्कार हैं संस्कृत अनादी है इसी लिए अनन्त है। सरस्वती जी कि वीणा से निकले हुए शब्दों में नाद ब्रह्म ने ही जीवन शक्ति प्रदान की है इसलिए यह भाषा अनादी और अनन्त है। इसके मंत्रों में अनेक महारोगो को दूर करने की शक्ति है।
संस्कृत का प्रचार एवं प्रसार विश्व के अनेक देशों में हो रहा है और संस्कृत भाषा एवं मंत्रोच्चार की शक्ति के उपर अनेक प्रकार के शौध निरन्तर चल रहे हैं यह विज्ञान के क्षेत्र में तकनीकि के क्षेत्र में निरन्तर ग्रहण की जा रही है। सबसे पहला विश्व में रिकार्डिंग वाक्य संस्कृत में ही था। इसीलिए कहा गया है ओम मात्रे पृथ्विेये। उन्होने कहा कि संस्कृत ब्रहम है, चेतना है। अगर संस्कृत नही रहेगी तो कोई भाषा भी नही रहेगी। यतिन्द्रानन्द जी महाराज ने कहा कि विश्व गुरु बनना है तो संस्कृत को अपनाना होगा।
संस्कृत इस देश की आत्मा है। हम सबको मिलकर संस्कृत को पूरे देश में स्थापित करना होगा। उन्होने कहा कि संस्कृत कभी मरने वाली भाषा नही है।संस्कृत पढने से स्मरण शक्ति बढती है। संसार की समस्त भाषाओं का जन्म संस्कृत से ही हुआ है। कार्यक्रम में अपर जिलाधिकारी वित्त विनोद कुमार, नगर मजिस्ट्रेट पंकज कुमार वर्मा, जिला विद्यालय निरीक्षक अरुण कुमार दुबे, बेसिक शिक्षा अधिकारी रामेन्द्र कुमार, अधिवक्तागण, पत्रकारगण, व्यापारीवर्ग, डाक्टर, उद्योगपति, अध्यापकगण एवं विद्यार्थियों ने तो भाग लिया ही विशेष रूप से त्रलोक चन्द गुप्ता वरिष्ठ आर.एस.एस श्विष्णु शुक्ला , हरिशंकर गोनियाल , दारूलउलुम देवबन्द से भी अनेक मौलानाओं द्वारा शिरकत की गयी।