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गंगा यात्रा से प्रदेश में आयेगी आर्थिक समृद्धि.....

 


 


भारतीय जन-मानस में गंगा नदी सबसे अधिक पवित्र और नश्वर जीवों का शुद्धीकरण करने वाली नदी ही नहीं, बल्कि जीती-जागती देवी ‘‘माँ गंगा’’ है। गंगा नदी की जल गुणवत्ता को प्राचीन काल से इसकी जीवन प्रदायिनी और चिकित्सा करने की गुणवत्ता के कारण मान्यता दी गई है। करोड़ों लोग आज भी गंगा नदी में स्नान करते हैं। स्नानार्थियों की यह धारणा होती है कि गंगा में स्नान करने से पुण्य प्राप्त होगा और बीमारियां समाप्त हो जायेंगी। गंगा की खूबसूरती उसकी सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व तो है ही साथ ही गंगा जीविकोपार्जन,पर्यावरणीय और पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत महत्व रखती हैं। गंगा बेसिन में 11 राज्य हैं। भारतीय जल संसाधनों में इसका 28 प्रतिशत योगदान है।


और  43 प्रतिशत आबादी इस पर  निर्भर है, इससे 1.3 करोड़ लोगों को जीविका मिलती है, इसमें जीव-जन्तुओं की 378 प्रजातियां पायी जाती हैं और गंगा भारत की 57 प्रतिशत भू-भाग को उपजाऊ बनाती है। गंगा को स्वच्छ रखना सभी का कर्तव्य व  दायित्व है। इसी प्रयास में भारत सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गंगा संरक्षण हेतु नमामि गंगे परियोजना लागू कर गंगा के निर्मल और अविरल प्रवाह बनाये रखने पर बल दिया है।माँ गंगा को स्वच्छ, निर्मल रख व आम जनता मेें जागरूकता लाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 27 से 31 जनवरी, 2020 तक गंगा किनारे के जनपदों में ‘गंगा यात्रा’ कार्यक्रम चलाया है।


इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य,से गंगा माँ के प्रति आमजन में आस्था और सम्मान हो।   गंगा की निर्मलता के लिए प्रदेश सरकार ने क्या-क्या और कितने कार्य किये हैं, वह आम जनता को बताया जा रहा है। कि गंगा माँ के होने से उत्तर प्रदेश के विकास में सकारात्मक सोच रखना जरूरी है। गंगा माँ से उ0प्र0 में परिवहन, कृषि, जलापूर्ति, सिंचाई, औद्योगिक, वनीकरण, पर्यटन, धार्मिक स्थलों आदि क्षेत्रों में आर्थिक विकास होने से लोगों को रोजगार मिल रहा है। माँ गंगा प्रदेश के विकास और समृद्धि की 6 स्रोत है इसीलिए इस अभियान को ‘अर्थ- गंगा’ अभियान कहा गया है। गंगा यात्रा के उद्देश्य में यह भी है कि आमजन को जागरूक किया जाय कि गंगा के संरक्षण करने पर हमारे देश की सदियों से बनी आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, श्रद्धा एवं आस्था को बनाये रखने के लिए जन सहभागिता का संगम बना रहे।


प्रदेश के मुख्यमंत्री जी द्वारा शुरू किये गये इस गंगा यात्रा के अर्थ-गंगा अभियान के अन्तर्गत 27 से 31 जनवरी 2020 तक विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जागृत किया जा रहा है। इस अभियान में माँ गंगा के तटवर्ती जिलों के ग्रामों में जीरो बजट की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों, कृषि से जुड़े लोगों को कृषि वैज्ञानिकों द्वारा गोष्ठी के माध्यम से अवगत कराया जा रहा है। अभियान में निःशुल्क पौधों का वितरण एवं पौधों के रख-रखाव हेतु अनुरक्षण अनुदान भी दिया जा रहा है। अर्थ-गंगा के अन्तर्गत दोनों तटों पर 500 मीटर के दायरे में 12 हजार हेक्टेयर में गंगा उद्यान की स्थापना का कार्य किया जा रहा है, इसके साथ ही गंगा तट में शत-प्रतिशत आर्गेनिक फार्मिंग का प्रोत्साहन किया जा रहा है।


इस अभियान के तहत जल, वायु, मृदा एवं ध्वनि से होने वाले प्रदूषण, निर्मित स्वच्छ शौचालयों का उपयोग करने और उसके निवारण के विषय में पर्यावरणीय गोष्ठी का आयोजन कर जनजागृति लाई जा रही है। गंगा किनारे सघन वृक्षारोपण करने के लिए ‘गंगा हरीतिमा अभियान’ भी चलाया जा रहा है।प्रदेश सरकार के गंगा-यात्रा कार्यक्रम में अर्थ-गंगा अभियान पर बल दिया जा रहा है। वाराणसी से हल्दिया तक जलमार्ग का अधिकाधिक उपयोग करने पर बल दिया गया है।                             रिपोर्ट - आरिफ अंसारी 
       


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