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जल आन्दोलन को हमें जन आन्दोलन बनाना होगा, जलदूत व जलप्रहरी बानाएं - उपेन्द्र प्रसाद सिंह....

साहारानपुर।उपेन्द्र प्रसाद सिंह, सचिव, जल संसाधन, रिवर डवलपमेंट, गंगा रिजीवेशन, जलशक्ति मंत्रालय भारत सरकार ने सर्किट हाउस के सभागार में जल संरक्षण एवं नदियों का जीर्णोद्धार किये जाने के संबंध में मण्डल के सभी जिलाधिकारियों एवं मण्डलीय अधिकारियों के साथ कार्यशाला एवं समीक्षा बैठक की। उन्होने इस मौके पर कहा कि जल आन्दोलन को हमें जन आन्दोलन बनाना होगा। उन्होने कहा कि जो चीज हमें आसानी से मिल जाती है उसका हम दुरूपयोग करने लगते है।


 नदियों में पानी जरूरी है। पानी का दोहन न करें। नदियों, तालाबों में अगर अविरलता होगी तो अपने आप निर्मलता आ जायेगी। उन्होने कहा कि  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मन की बात में जल की बात करते है। हम सबको मिलकर पानी को प्राथमिकता देनी है। उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने कार्यशाला में कहा कि पहले लोग कुएं से पानी निकालते थे। उसी से नहाते थे। लेकिन आज अत्याधुनिक सुविधाएं हो जाने के कारण पानी की ज्यादा बर्बादी हो रही है। नल में जल होना जरूरी है। पानी को बचाएं।


रेन वाटर हार्वेस्टिंग करें। वाटर पोर्टल पर बैटर इण्डिया पर जाकर पानी के संवर्धन व संचयन हेतु किये जा रहे कार्यों को देखें व बढावा दें। पानी का संरक्षण व संवर्धन करें। पानी से हर आदमी जुडा हुआ है। नही तो आने वाली पीढी को दिक्कत उठानी पडेगी। उन्होने बरसाती पानी को भी संचय करने पर जोर दिया। उन्होने यह भी कहा कि पांवधोई, ढमोला व हिण्डन नदियों मंे अविरलता व निर्मलता के लिये हम सब मिलकर कुछ कर सके तो आने वाली पीढी के लिये बेहतर होगा। ग्राउण्ड वाटर का खतरा जो मंडरा रहा है उस पर भी कार्य करने की जरूरत है।


उन्होेने कहा कि उद्योग से जुडे लोग भी पानी की अविरलता व निर्मलता बनाए रखने हेतु आगे आएं। उन्होने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यंहा बहुत ज्यादा भूजल का दोहन होता है। भूजल का स्तर गिरता जा रहा है। भूजल के स्तर को कैसे ठीक किया जाये इस पर भी गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि बडी-बडी नदियों के अलावा छोटी-छोटी नदियों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। ताकि छोटी नदियोें मे भी ज्यादा पानी बना रहे। नदियों मे पानी का प्रभाव बढाया जाये व प्रदूषण को कम किया जाये। उद्योग व सीवर के माध्यम से नदियों में प्रदूषण नही होना चाहिए। साथ ही बरसात के सीजन में नदियों के किनारे ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण व नर्सरी लगाएं। फ्लड जोनिंग करना जरूरी है।


उन्होने यह भी कहा कि उद्योग का प्रदूषण हमारे लिये आज भी चिंता का विषय बना हुआ है। उन्होने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि 2009 से 2019 तक सहारनपुर-मुजफ्फरनगर में 2 मीटर व शामली में 4 मीटर पानी की स्तर नीचे गया है। तालाबों को कैसे जिंदा किया जाये. गिरते हुए जल स्तर को हर हाल में रोकना होगा। जल शक्ति अभियान व अटल भूजल योजना के माध्यम से भी पानी का स्त्रोत बढाया जाये। जलदूत व जलप्रहरी बनाकर पानी के स्त्रोत बढाये जायें। मण्डलायुक्त संजय कुमार ने कार्यशाला में कहा कि जल के जन जागरण हेतु 35 गांवों मे पदयात्रा करके व चैपाल लगाकर लोगो को जागरूक किया जायेगा।


उन्होेने यह भी कहा कि 15 जून तक मण्डल में नदियों व तालाबों में पानी की अविरलता व निर्मलता हेतु तेजी से कार्य कराये जायेंगे। उन्होने यह भी कहा कि ग्राउण्ड वाटर तैयार कर लिया गया है। एक-एक तालाब का रिकार्ड भी बनाया जा रहा है। साथ ही डाटा भी रखा जा रहा है। मण्डल के पूरे तालाबों को जीर्णोद्धार करने के लिये कार्य किये जा रहे है। इसके लिये ग्राम पंचायत, लघु सिंचाई व मनरेगा की धनराशि के माध्यम से भी नदियों व तालाबों के जीर्णोद्धार हेतु कार्य कराये जायेंगे।


इस मौके पर जिलाधिकारी शामली अखिलेश सिंह. जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर सेल्वा कुमारी जे0मुख्य विकास अधिकारी सहारनपुर प्रणय सिंहवन संरक्षक सहारनपुर वी0के0जैन. नगर आयुक्त ज्ञानेन्द्र सिंह, संयुक्त विकास आयुक्त के अलावा भारी संख्या में मण्डलीय अधिकारी व सिंचाई, प्रदूषण, जल निगम आदि मौजूद रहे।


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