कौन हैँ अति पिछड़ों के मसीहा व भारतीय राजनीती के महापुरुष जिन्हें भारत रतन देने कि मांग अति पिछड़ा समाज कर रहा है....
सहारनपुर। सहारनपुर शहर के मोहल्ला टैगोर गार्डन पेपर मिल रोड पर राष्ट्रीय अति पिछड़ा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलज़ार सलमानी के आवास पर जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की 32वीं पूण्य तिथि पर श्रधांजलि सभा का आयोजन किया गया जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए राष्ट्रीय अति पिछड़ा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष् ने गुलज़ार सलमानी बताया कि कर्पूरी ठाकुर की मृत्यू 17 फरवरी 1988 को दिल के दौरा पड़ने के कारण हुआ थी। वे 32 वर्ष बाद सभी राजनैतिक दलों के आदर्श बन गए हैं और इन सबका मात्र एक ही कारण है
अति पिछड़ा जाति के वोट बैंक करना जबकि कर्पूरी ठाकुर की जाति नाई दो फ़ीसद भी नहीं है लेकिन अति पिछड़ा जाति की संख्या लगभग सौ से अधिक हैं और इनका 29 फ़ीसद वोट बैंक हैं। राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जी ने भी जीन निकाल कर अति पिछड़ा जाति के वोट बैंक के लाभ लंबे समय तक लेकर सत्ता पर काबिज़ रहे थे, वहीं 2005 के चुनाव में अति पिछड़ा वर्ग जे डी यू पर मेहरबान हो गया और नीतीश कुमार जी को सत्ता पर बैठा दिया और आज भी सत्तासीन है। आज भी सभी राजनैतिक दल अति पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए अपना ताना बाना बुन रहे हैं। लेकिन कोई राजनैतिक दल का नेता जननायक कर्पूरी ठाकुर के आदर्श पर चलने के लिए तैयार नहीं हैं। यहां तक कि आज रामनाथ ठाकुर जी भी अपने पिता के आदर्श को नहीं समझ पा रहे हैं, रामनाथ ठाकुर जी को अपने पिता कर्पूरी ठाकुर जी के राजनीतिक लाभ मिले जिससे कि आज जे डी यू के सांसद हैं।
गुलज़ार सलमानी ने बताया कि जननायक कर्पूरी ठाकुर 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौझिया ग्राम में पैदा हुए थे। जो की आज कर्पूरी ग्राम के नाम से जाना जाता है। सन 1952 में पहली बार बिहार विधानसभा गए थे। और 1967 में उपमुख्मंत्री बने और उसी दरमियान शिक्षा मंत्री भी रहे थे। शिक्षा मंत्री के समय शिक्षा विभाग में कक्षा 1 से 10 तक के सभी बच्चों की फीस माफ़ कर दी, और उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा घोषित किए साथ ही अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त किया था।
जिससे गांवों एवं कस्बे के बच्चे भी उच्च पढाई कर सकें और कर रहे हैं। 1971 में मुख्मंत्री बनते ही किसान को गैर लाभकारी ज़मीन का टैक्स मुक्त कर बहुत बड़ी राहत दी थी। जब दुसरी बार 1977 में मुख्मंत्री बने तो मुंगेरी लाल कमिशन लागु कर आरक्षण लागू कर दिया था। जिससे स्वर्ण काफ़ी नाराज़ हो गए थे। और अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे थे। साथ ही यहां तक कहा कि कर कर्पूरी कर पूरा, छोड़ गद्दी धर उस्तरा। कर्पूरी ठाकुर ने कैंप आयोजन कर 9000 हज़ार इंजिनियर एवं डॉक्टरों का नौकरी दी थी। सन 1978 में भी सिंचाई विभाग से 17000 पदों के लिए आवेदन मंगाए थे। लेकिन सरकार गिर जाने के कारण नौकरी नहीं दे पाए थे।
जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के अनेकों ऐसे बड़े कारनामें है जो देश के गरीब गुरबा के अधिकार दिलाया है। कर्पूरी जी ने उस समय भी गैर कांग्रेसी होते हुए भी बिहार के एक बार उपमुख्मंत्री और दो बार मुख्यमंत्री बने है और पिछले कतार में खड़े लोगों को आगे लाने का काम किया था। आज इनके पुण्य तिथि पर सभी राजनैतिक दलों के नेताओं को कर्पूरी ठाकुर जी के आदर्शों पर चलने के लिए शपथ लेनी चाहिए। राष्ट्रीय अति पिछड़ा मोर्चा के अध्यक्ष् गुलज़ार सलमानी ने वर्तमान भजपानीत केंद्र सरकार से जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग की।
श्रधांजलि सभा मे राष्ट्रीय अति पिछड़ा मोर्चा के समस्त पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे। और जननायक कर्पूरी ठाकुर के चित्र पर पुष्प अर्पित किये श्रधांजलि सभा मे संजय सैन, रामनाथ ठाकुर, निसार सलमानी, जहांगीर सलमानी, सत्तर सलमानी, गफूर सलमानी, मनोज सैन, जिन्दा हसन सलमानी, यशवीर सैन, रोहित सैन, कबीरपुर शुभम सैन, डॉक्टर सेवाराम, मुशर्रफ चौधरी आदि सैकड़ो लोग मौजूद रहे।