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कविताएं भी प्रकृति से सीधा साक्षात्कार कराती हैं...


सहारनपुर। अग्रेज़ी के सुप्रसिद्ध कवि डॉ. अनिल वर्मा के पांचवें काव्य संग्रह ‘नॉस्टेल्जिया ए ग्लिम ऑफ़ डिस्टैंट डे’ का लोकार्पण समारोह में साहित्यकारों ने किया। यह पुस्तक बचपन की यादों, प्रकृति के अद्भुत बिम्बों और मां की ममता पर लिखी गयी कविता का अनुपम संग्रह है। डॉ. अनिल वर्मा ने पुस्तक में  अपनी स्वर्गीय मॉं को श्रद्धांजलि स्वरुप यह पुस्तक समर्पित की। अध्यक्षता करते हुए डॉ. विष्णुकांत शुक्ल ने कहा कि डॉ. वर्मा की कविताएं अनायास हृदय से निकली हैं।


उन्होंने भावनाओं को कविताओं में पिरोया है। मुख्य अतिथि एवं शिक्षाविद् डॉ.ए के गुप्ता व डॉ.जी सी पचौरी ने कहा कि डॉ.वर्मा ने अपनी संवेदनाओं से विद्ववता को सिंचित किया है। उनकी उपलब्धियां अविश्वसनीय हैं। मुख्य वक्ता डॉ. वीरेन्द्र आज़म ने लोकार्पित पुस्तक का उल्लेख करते हुए कहा कि डॉ.वर्मा अंग्रेज़ी के ऐसे रचनाकार हैं जिन्होंने ‘मॉ’ पर ही सैकड़ों कविताएं लिखी है। ‘मां’ हमेशा उनकी अंतश्चेतना में विराजमान रहती है और वहीं उनके लेखन की प्रेरणा भी है।


उनकी रचनाएं प्रकृति से सीधा साक्षात्कार कराती है। कवि अपनी रचनाओं में चिड़ियाओं के साथ चहकता और फूलों के साथ महकता है, वह चांद की चांदनी में मां की ममता को देखता है। बैंगलोर से आये शिक्षाविद् डॉ.रमेश दत्त शर्मा ने अनिल वर्मा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका व्यक्तित्व बहुआयामी है। ज़िन्दगी में जो आदमी से छूट जाता है और उसके बाद जो बचता है, उसे जीने की कला अनिल वर्मा जानते हैं। उनकी रचनाओं में उनका दर्द है।


पूर्व विधायक वीरेन्द्र ठाकुर ने कहा कि डॉ.वर्मा ने जो जिया है वहीं उनकी रचनाओं में है। डॉ.शशि नौटियाल ने कहा कि उनके भीतर आज भी एक बच्चा जिन्दा है। डॉ.ज्योति ने कहा कि जीवन की आपाधापी में रिश्तों से कैसे बंधकर रहा जाता है ये डा.वर्मा से सीखा जा सकता है। डॉ.वंदना ने लोकार्पण समारोह को ‘सृजन उत्सव’ की संज्ञा दी।समारोह में योगेश शर्मा को सम्मानित भी किया गया। समारोह में डॉ.सीमा चौधरी,डॉ.शुभ्रा चतुर्वेदी, डॉ. इन्दु शर्मा, डॉ. अजय शर्मा, डॉ.ममता सिंघल, डॉ.अनुपमा बंसल. डॉ.रामशब्द सिंह, डॉ.मैनी,डॉ.विनोद कुमार,डॉ.हरवीर सिंह,डॉ.पूनम शर्मा, के पी सैनी एडवोकेट, राजीव गुप्ता एडवोकेट, अतुल गौरव, प्रकाश सैनी व भानु आदि शामिल रहे।  रिपोर्ट: आरिफ अंसारी             


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