मधुमक्खी पालक बरसात के मौसम में क्या करें?
सहारनपुर। मधुमक्खी पालन कृषि उद्यम के रूप में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मधुमक्खियों से शहद, पॉलेन, प्रपोलिस, मोम, मौन विष एवं रॉयल जैली आदि स्वास्थ्यकारक, गुणकारी पदार्थ प्राप्त होते है। इसके अतिरिक्त मधुमक्खियों से फसलों में पर-परागण से पौधों की जीविता एवं उत्पादन में 2-3 गुना वृद्धि होती है और स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होते है। मधुमक्खी पालन से कम समय में अच्छी आय अर्जित की जा सकती है इस हेतु मौनपालकों को मौसम के अनुसार सम-सामयिक रख-रखाव पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उ0प्र0 लखनऊ द्वारा मधुमक्खी पालकों व कृषकों को सलाह देते हुए कहा कि बरसात का मौसम चल रहा है, मधुमक्खी पालक माह-जुलाई, एवं अगस्त में मधुमक्खियों के मौनवंशों को ऊंचे स्थान पर रखकर मौन गृहों के स्टैण्ड के नीचे चींटेध्चीटीं आदि को रोकने के लिए प्यालियों में पानी भर दें तथा पानी को समय-समय पर बदलते रहें।
मधुमक्खी के इन शत्रुओं से बचाव के लिए मौनगृहों के छिद्रोंध्दरारों में गीली मिट्टी भर दें, प्रवेश द्वार को छोटा अथवा क्वीन गेट लगा दें। मौनवशों में माइट के प्रकोप दिखाई देने पर दो से तीन ग्राम तम्बाकूध्नीम की पत्ती का धुनीकरण सप्ताह में दो बार किया जायें तथा अधिक प्रकोप की दशा में 85 प्रतिशत फार्मिक एसिड का प्रयोग इन्जेक्शन की शीशी में रख कर सांयकाल के समय देते रहना चाहिए।