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रसायनिक खाद के अंधाधुंध प्रयोग से भूमि की उवर्रक  क्षमता घट रही हैं - संजय कुमार

रसायनिक खाद के अंधाधुंध प्रयोग से भूमि की उवर्रक क्षमता घट रही हैं - संजय कुमार



सहारनपुर। मण्डलायुक्त श्री संजय कुमार ने कहा कि रासायनिक खाद के अंधाधुंध इस्तेमाल से भूमि की उत्पादन क्षमता  मे निंरतर घट रही है। खेत की मिट्टी की उवर्रकता और पर्यावरण संतुलन को बनाये रखने के लिए किसानों को वर्मी कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाऐं। उन्होंने कहा कि किसान पैदावार बढ़ाने एवं फसलों को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए अंधाधुंध रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे भूमि की उर्वरक क्षमता घटने के साथ-साथ खेतों के मित्र कीट भी नष्ट हो रहे हैं। इतना ही नहीं खेतों में बढ़ते रसायनिक प्रभावों के कारण मनुष्य के शरीर पर भी कुप्रभाव पड़ रहा है। 
श्री संजय कुमार आज यहां अपने कैम्प कार्यालय पर कृषि विशेषज्ञों के साथ वर्मी कम्पोस्ट खाद की की वितरण की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केंचुआ खाद बनाने से किसान की फसल में लागत कम आएगी। यह खाद पूरी तरह जैविक होगी। इसके इस्तेमाल करने से मानव शरीर पर भी कोई कुप्रभाव नहीं पउेंगा। उन्होंने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट खाद के प्रयोग से फसलों में किसान को महंगा खाद एवं कीटनाशक खरीदने से मुक्ति भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि किसान अपने खेतों में ही वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन कर और अधिक लाभ कमा सकतें है। 
मण्डलायुक्त ने कहा कि भूमि की उर्वर क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकार वर्मी कम्पोस्ट योजना अंर्तगत केंचुआ खाद बनाए जाने पर जोर दे रही है। इसके लिए किसानों को अपने खेतों में केंचुआ खाद बनाने के लिए हर संभव मदद दी जायेंगी। मिट्टी की उर्वरता में जिस एक जीव की सर्वाधिक भूमिका होती है, वह केंचुआ है। इसकी खूबियों के कारण ही इसे प्रकृति का हलवाहा कहा जाता है। ये केंचुए पौधों के जड़, पत्ती, तने एवं खेत के अन्य कार्बनिक पदार्थों को विघटित करके उसे कीमती खाद में परिवर्तित कर देते हैं। केंचुओं द्वारा तैयार यह खाद खेतों के लिए अत्यंत ही लाभकारी है। इस अवसर पर कृषि विभाग के विषय वस्तु विशेषज्ञ विमल सिंह चैहान ने मण्डलायुक्त को वर्मीकम्पोस्ट खाद के समबन्ध में विस्तृृत जानकारी दी। साथ  ही इसके इस्तेमाल से होने वाले उत्पाद की गुणवत्ता एवं क्षमता के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि रसायनिक खादों के अंधाधुंध इस्तेमाल से मिट्टी में जिंक एवं सल्फर की कमी हो रही है। जिसका असर हमारी आने वाली नस्लों पर होगा। उन्होंने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग आज समय की आवश्यकता है।


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