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कृषि अध्यादेश किसानो को गुलाम बनाने वाला कानून:  गुलजार

कृषि अध्यादेश किसानो को गुलाम बनाने वाला कानून:  गुलजार



सहारनपुर। राष्ट्रीय अति पिछड़ा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलजार सलमानी ने नये कृषि अध्यादेश को किसानों के लिए गुलामी वाला कानून बताते हुए कहा कि आंदोलनरत किसानों की समस्याओं को देखते हुए केन्द्र सरकार तत्काल ही इन कानूनों को वापिस लेकर किसानों का आंदोलन समाप्त कराये।


राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलजार सलमानी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रेषित पत्र में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा इन तीनों बिलों को किसानों और विशेषज्ञों से चर्चा किये बिना ही लाया गया। संसद में विपक्षी पार्टियों द्वारा इन बिलों को सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग को भी सरकार ने नजरअंदाज किया। इन अधिनियमों में न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं है, जिसके कारण किसानों में अविश्वास पैदा हुआ है।


इन कानूनों के लागू होने से किसान सिर्फ प्राइवेट प्लेयर्स पर निर्भर हो जायेगा। साथ ही, प्राइवेट मंडियों के बनने से दीर्घ काल से चली आ रहीं कृषि मंडियों का अस्तित्व भी खत्म हो जायेगा। इसके कारण किसानों को अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिलेगा।  पत्र में किसान आंदोलन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकृष्ट किया है। 26 नवंबर को देश जब संविधान दिवस मना रहा था, तभी देश के अन्नदाता पर लाठियां और वॉटर कैनन चलाई जा रही थीं।


किसान अपनी मांगें रखने दिल्ली न पहुंच सकें, इसके लिये सडकों को खोदा गया और अवरोधक भी लगाये गये। केंद्र सरकार ने किसानों के विरोध प्रदर्शन के हक को छीनने की कोशिश की जो न्यायोचित नहीं है। किसानों ने अपने खून पसीने से देश की धरती को सींचा है। केंद्र सरकार को उनकी मांगें सुनकर तुरंत समाधान करना चाहिये।


वित्त वर्ष 2020-21 में जब जीडीपी विकास दर -7.5 प्रतिशत रही है तब भी कृषि क्षेत्र में 3.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस मुश्किल दौर में भी अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान दे रहे अन्नदाता को इस तरह का प्रतिफल नहीं देना चाहिये। मांग की है कि किसानों के हित और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिये प्रधानमंत्री मोदी इन कानूनों पर पुनर्विचार करें।


 


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