जिलाध्यक्ष के फैसले को बताया गैर संवैधानिक
सहारनपुर। बसपा पार्षद दल के नेता एवं वार्ड 15 के पार्षद सरदार चन्द्रजीत सिंह निक्कू ने बसपा पार्षद दल के नेता से हटाये जाने पर जिलाध्यक्ष के प्रति तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें पदमुक्त करने का अधिकार नही है, यह केवल बसपा के पार्षदों द्वारा ही किया जा सकता है। आज जिस प्रकार से पार्टी में गतिरोध चल रहा है, वह पार्टी के हित में नहीं है और इसके दूरगामी परिणाम गंभीर हो सकते है।
बसपा जिलाध्यक्ष योगेश कुमार द्वारा बसपा पार्षद दल नेता से हटाये जाने पर पार्षद स.चन्द्रजीत सिंह निक्कू ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जिलाध्यक्ष योगेश कुमार को संवैधानिक अधिकार का भी ज्ञान नही है। हालांकि योगेश कुमार के पिता जगपाल सिंह तीन बार विधायक भी रह चुके है और उन्हें पता है कि किसी दल के नेता को हटाये जाने क्या संवैधानिक अधिकार है।
उन्होंने कहा कि पार्षद दल के नेता पद से हटाये जाने के लिए पहले बसपा पार्षदों की बैठक बुलायी जानी चाहिए थी, उसके बाद ही उन्हें पदमुक्त करने के लिए उनको विश्वास में लिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा न कर उन्हें सीधा पद से हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि बसपा ही आज अधिकारों की बात नहीं हो रही है और भाजपा के सुर में सुर मिलाया जा रहा है। किसान आंदोलन में पार्टी की भूमिका पूरी तरह नगण्य है।
पार्टी सुप्रीमों केवल टवीट कर ही अपनी बात कह रही है और दलित युवती के साथ गैंगरेप के मामले में भी पार्टी की भूमिका संतोष जनक नही रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी सुप्रीमों सुश्री मायावती के सम्मुख पार्टी बैठक में कोई भी बात कही जाती है, तो उस पर भी कोई विचार नहीं होता। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पार्टी मुखिया सुश्री मायावती ईडी व सीबीआई से डर रही है।
यदि ऐसा है, तो उन्हें भाजपा से ही विलय कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी की बैठक में सुश्री मायावती को बताया गया कि यदि वह जनता की आवाज को सडकों पर लेकर नही जायेगी, तो जनता उन्हें सडक पर ला देगी। लेकिन इस बात का भी उन पर कोई असर होता नही दिखायी दे रहा है। उन्होंने कहा कि जिलाध्यक्ष को उनको पदमुक्त करने का कोई अधिकार नहीं है और वह स्वयं ही इस पद से त्याग पत्र दे रहे है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी वह बसपा के कार्यकर्ता है। इस दौरान मंजित सिंह गोल्डी व नीटा भी मौजूद रहे।