श्रावणी नागपंचमी को किया महादुग्धाभिषेक
सहारनपुर। औधड़दानी नर्मदेश्वर महादेव मंदिर में श्रावणी नागपंचमी को महादुग्धाभिषेक किया गया। इस अवसर पर स्वामी कालेन्द्रानंद महाराज ने कहा कि संपूर्ण ब्रहमाण्ड ही नाग कुण्डली में बंधा है। राधा विहार स्थित मंदिर में श्री रामकृष्ण विवेकानंद संस्थान के तत्वावधान में आयोजित श्रावण मास पूजा में औधड़दानी नर्मदेश्वर महादेव का पंचामृत से महास्नान किया गया। तदोपरान्त शिव सह़स्त्रनाम स्त्रोत शिव भुजंग स्त्रोत, रूद्रीपाठ से महाभिषेक किया गया एवं नगादेव स्वरूप की पूजा की गयी। शिव को महाभोग अर्पित कर आरती उतारी। इस अवसर पर स्वामी कालेन्द्रानंद महाराज ने नागपंचमी का महत्व बताते हुए कहा कि संपूर्ण सृष्टि ही मायारूप सर्प अर्थात कुण्डली रूप में बंधी हुयी है, जो शिव के ध्यान एवं शिव तत्व की प्राप्ति से ही खुलती है।
यही अवस्था आत्मदर्शन कहलाता है। जीव आत्मा परमात्मा का मिलन हो जाता है।स्वामी कालेन्द्रानंद महाराज ने कहा कि सर्प हमारे सहयोगी एवं प्रकृति के अभिन्न अंग है। जो प्रकृति का किसी न किसी रूप में पोषण करते है। शिवजी रूप अर्थात काल को अपने कंठ में धारण किये हुए है, इसीलिए वह महाकाल कहलाते है। शिवजी पर गौ, दुग्ध एवं नाग, नागिन का जोड़ा अर्पण करने से सर्पबंधा में शक्ति मिलती है। इस अवसर पर मेहरचंद जैन, अरूण स्वामी, नरेश चंदेल, दिनेश ठाकुर, रमेश शर्मा, अभिषेक पुंडीर, अंशुल शांडिल्य, गीता, सुचेता, हुमा, विभा, सुमिता, बाला, ममता आदि शामिल रहे।